तो फिर तू क्यूँ उदास है
तू सशक्त है समर्थ है, तो फिर तू क्यूँ उदास है,
तू गिर ज़रा संभल ज़रा, क्यूँ हो रहा हताश है,
तू रक्त है विरक्त है, तुझी से वक़्त की आस है,
तू जलज है समुद्र तू, बुझा दे जो भी प्यास है,
जो समझे ना तेरी कदर, छेड़ दे तू इक ग़दर,
ये विश्व तेरा सर्वस्व है, अकेला तू फिरे किधर,
पाषाण जो हो राह में, ना पथ पृथक तू करना ,
आँधियों की गति से डर के, ना तू चाह छोड़ना,
हो दूर ग़र अरुण किरण, उसकी राह तू ताकना,
जो तन से तू थके अग़र, ना मन से कभी तू हारना ।
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ReplyDeleteThanks :)
Deletethis is awesome, Mansi!
ReplyDeleteThank you jj :)
DeleteSo awesome!
ReplyDeleteHey keep posting such good and meaningful articles.
ReplyDeleteThanks :) Sure
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